ज्यादा मोबाइल फ़ोन चलाने से क्या होता है, जानकर आप हैरान हो जायेंगे. जानिए मोबाइल फ़ोन use करने के नुकशान 


Hello, friends,, पिछले एक दशक में मोबाइल हमारी जिन्दगी का एक अभिन्न अंग बन चुका है। आज मोबाइल के बिना अपनी जिन्दगी की कल्पना करना भी मुश्किल हो गया है। मोबाइल फोन ने हमारे पारिवारिक और सामाजिक सम्पर्क को बढ़ाकर, भावनाओं को अभिव्यक्त करना सहज बना दिया है। परन्तु जहाँ वर्तमान अत्याधुनिक जीवनशैली में मोबाइल फोन का एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है और वहीं इसके अनेक लाभ तो हैं लेकिन नुकशान भी काफी ज्यादे हैं।
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Mobile Phones Side-effects


हममें से अधिकांश लोग मोबाइल फोन के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। परन्तु सत्य तो यह ही है कि वास्तव में जैसे मोबाइल फोन (Smartphones) का हम उपयोग करते हैं, उन्हें अस्तित्व में आये हुए मात्र दो दशक ही हुए हैं।


◆  Mobile phone क्या है ?

मोबाइल फोन एक त्वरित दूरसंचार यंत्र है जिसका सेल्यूलर रेडियो सिस्टम से सम्पर्क होता है। यह केबलों को नेटवर्क के साथ शारीरिक रूप से संलग्न किये बिना, बात करने के उद्देश्य से निर्मित किया गया था। मोबाइल फोन के आविष्कार के साथ अब हम कहीं भी, किसी से भी, चलते-फिरते, घूमते-दौड़ते बिना किसी अड़चन या एक जगह रुके हुए बात कर सकते थे। परन्तु हमारी बढ़ती आवश्यकताओं और देश के वैज्ञानिकों के कठिन परिश्रम ने आज मोबाइल फोन को हर कार्य प्रणाली से जोड़ दिया है। आज मोबाइल फोन मात्र सन्देश भेजने और इंटरनेट आदि कार्यों को करने में ही नहीं अपितु जीवन के हर पहलुओं से जुड़ गया है।


◆ आखिर मोबाइल फ़ोन से कितना खतरा


मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग को देखते हुए आज हम कह सकते हैं कि मोबाइल फोन में हमारी इस असली दुनिया से दूर एक वर्चुअल (आभासी) दुनिया बन गई है। परन्तु अब विडम्बना यह है कि हम इस आभासी दुनिया में इतने खो गए हैं कि असली दुनिया से दूर होते जा रहे हैं। जहाँ मोबाइल फोन अनुचित उपयोग का एक महत्त्वपूर्ण कारण है, वहीं इसके स्वास्थ्य पर भी अनेक दुष्प्रभाव पड़ते हैं जिन्हें जानना और जिनसे बचाव करना हमारे लिये अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।



◆ पुरुष बांझपन की समस्या


इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. गौरी अग्रवाल के अनुसार बांझपन की समस्या के लिए मोबाइल फोन और लैपटॉप का ठीक प्रकार से इस्तेमाल न करना भी बड़ा कारण है। शर्ट की जेब में दिल के पास और पैंट की जेब में रखने पर मोबाइल से निकलने वाली रेज खतरनाक साबित होती हैं। यह पुरुषों के शुक्राणुओं पर बुरा प्रभाव डालती हैं और उनकी संख्या और क्षमता में बीस से तीस प्रतिशत तक की कमी कर देती हैं।


◆ Radiation है नुकसानदायक


टावर से सिग्नल, सिग्नल से फोन और फोन से आवाज आने तक की पूरी प्रक्रिया रेडियेशन पर निर्भर है। यह किरणें चारों तरफ हैं। जहां नहीं होना चाहिए वहां भी और जितनी मात्रा में नहीं होनी चाहिए उससे कहीं ज्यादा भी है। ये मोबाइल के जरिए हमारे शरीर को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाती हैं। इससे कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है। बिना बात के रेडीयेशन से निजात पाने के लिए फेक कॉल्स और एसएमएस के लिए डीएनडी कर दें।


◆ नींद का है दुश्मन


अक्सर लोगों की आदत होती है कि जब वो सोने के लिए लेटते हैं तो फोन का इस्तेमाल करने लगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका मोबाइल फोन आपकी नींद का दुश्मन होता है? दरअसल, आपके स्मार्टफोन से निकलने वाला कृत्रिम प्रकाश अंधेरे में आपके शरीर की मेलाटोनिन उत्पादन करने के क्षमता को प्रभावित करता है। मेलाटोनिन आपको नींद दिलाने वाला रसायन होता है। तो जब आप सोने के समय फोन का इस्तेमाल कर रहे होते हैं तो इसके प्रकाश के कारण आपकी नींद भाग जाती है।


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◆ पिंपल्स की समस्या


आज-कल मोबाइल फोन लगभग सभी की दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुके हैं। हम सभी दिन का काफी वक्‍त मोबाइल का उपयोग करते हुए बिताते हैं और इस बात से पूरी तरह अनजान होते हैं कि ऐसा करना हमारी त्वचा के लिए नुकदायक सबित हो रहा है। जी हां फोन का अधिक उपयोग करना एक्‍ने का एक कारण बन सकता है। एक अध्ययन से पता चला है कि लगातार गाल से फोन के चिपकाए रखने से त्वचा पर दाने व मुंहासे हो जाते हैं, फिर चाहे आपका फोन साफ और बेक्टीरिया मुक्‍त ही क्यों हो या न हो। दरअसल इसकी वजह से गर्मी और घर्षण उत्पन्न होता है, जिसकी वजह से मुंहासे निकल आते हैं।


◆ झुर्रियों को देता है निमंत्रण


इन दिनों चैट के तमाम विकल्प आ चुके हैं। नई-नई ऐप्स और फिर इंटरनेट पर उपलब्ध टेक्स्ट को पढ़ना अब आम बात है। इस तरह के टेक्स्ट का फोंट अमूमन छोटा होता है। छोटे फोंट की वजह से लोग फोन को इस तरह से देखते हैं कि उनकी भौंहों के बीच झुर्रियां पड़ जाती हैं। इस समस्या से बचने के लिए अपने मोबाइल फोन का फोंट बडा करें, साथ ही इसकी ब्राइटनेस को भी बढ़ा दें।


◆ डिप्रेशन का है बड़ा कारण


रात को सोने से पहले 99 प्रतिशत लोग फोन पर लगे होते हैं। कुछ चैटिंग करते हैं तो कुछ लोग गेम्स खेलते हैं। हाल ही में हुए एक शोध में साफ हुआ है कि अंधेरे में फोन का अधिक इस्तेमाल करने से सिर दर्द, बेचैनी, कंपन, आंखें कमजोर और डिप्रेशन जैसी बड़ी बीमारियां हो सकती हैं। वैसे तो फोन से दूर ही रहना चाहिए। लेकिन अगर आप अंधेरे में फोन का इस्तेमाल करते हैं तो कोशिश करें कि कम से कम छोटी लाइट जरूर जला दें।


◆ मोबाइल फोन से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव


वैज्ञानिक शोध निष्कर्षों में पाया गया है कि मोबाइल फोन और सेल टावर का आजकल अत्यधिक उपयोग हो रहा है। बेहतर रिसेप्शन के लिये सेल टावर की गिनती भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह सेल टावर और मोबाइल फोन हमारे स्वास्थ्य के लिये एक बड़ा खतरा हैं। सेल टावर और मोबाइल फोन से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन उत्सर्जित होती है। यह रेडिएशन हमारे शरीर के लिये सीधे रूप से हानिकारक नहीं होती पर इनसे उत्पन्न गर्मी में इतनी क्षमता होती है कि हमारे चेहरे तथा दिमाग के एक हिस्से को धीरे-धीरे प्रभावित करती है और इसका अत्यधिक उपयोग हानिकारक सिद्ध हो सकता है।



◆ Caller Ring (टिंग-टिंग) ध्वनि भी हमारे लिए नुकशान 



कानों में टिंग-टिंग की ध्वनियों का बजना उन पहले संकेतों में से एक हो सकता है कि सेलफोन हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करना शुरू कर रहा है। हमारे कान के भीतर चैनल्स में बन्द तरल पदार्थ हमारे शरीर का सन्तुलन बनाए रखने में कार्यरत होता है। एक अप्रत्याशित कान का दर्द या सन्तुलन को बनाए रखने में कठिनाई आदि अन्य संकेत हैं कि हम विद्युत चुम्बकीय संवेदनशीलता का सामना कर रहे हैं।


◆ हमारा मस्तिष्क सेलफोन की विद्युत चुम्बकीय तरंगों के ‘रिसीविंग एंड’ के सीधे सम्पर्क में होता है, यह किरणें हमारी मानसिक रूप से तेज और जागरूक रहने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। पश्चिमी इंग्लैंड में ब्रिस्टल रॉयल इन्फर्मरी में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रायोजित अनुसन्धान के अनुसार, एकाग्रता की कमी के कारण याद्दाश्त भी कमजोर हो सकती है और ध्यान केन्द्रित करने में असमर्थता के कारण नए कार्यों को सीखना भी कठिन हो सकता है।


◆ न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ भी अन्य बीमारियों के रूप में सामने आती हैं जिससे उनके मूल कारण का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। परन्तु अचानक बिना कारण चक्कर आना, जी मिचलाना, बिन मौसम बीमार होना आदि यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों से तंत्रिका तंत्र के कमजोर होने के लक्षण हो सकते हैं


◆ एक ब्रिटिश चिकित्सा पत्रिका द लांसेट के मुताबिक सेलफोन विकिरण सीधे सेल फंक्शन को बदल सकते हैं और रक्तचाप में वृद्धि का कारण बन सकते हैं। कुछ मामलों में रक्तचाप की बढ़ोत्तरी व्यक्ति में स्ट्रोक या दिल के दौरे को ट्रिगर करने के लिये पर्याप्त हो सकती है। धड़कन की दर में अचानक बदलाव, अकस्मात छाती के दर्द का अनुभव, साँस की कमी और अस्थिर रक्तचाप, शरीर पर सेलफोन उपयोग की प्रतिकूल प्रतिक्रिया का संकेत हो सकते हैं।


◆ हालांकि आँख की समस्या रोजमर्रा के काम से उत्पन्न हो सकती है, परन्तु अकस्मात उत्पन्न परेशानियाँ, आँखों में किरकिरापन और दर्द, आँखों का फड़कना विद्युत चुम्बकीय विकिरण का नतीजा हो सकते हैं।


◆ हमारे दृष्टिकोण में परिवर्तन, जैसे- अवसाद, चिन्ता, क्रोध, अचानक रोना और नियंत्रण खोना आदि मस्तिष्क में विद्युत चुम्बकीय विकिरण के कारण हो सकते हैं


◆ विद्युत चुम्बकीय संवेदनशीलता के कारण मांसपेशियों में कमजोरी और ऐंठन, साथ ही जोड़ों में दर्द, पैरों में ऐंठन और हाथों में कम्पन भी उत्पन्न हो सकती है।


◆ स्वीडन के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन वर्किंग लाइफ (National Institute for Working Life Sweden) के अध्ययन में एक सम्भावना दर्शाई है कि मोबाइल फोन के मात्र दो मिनट के प्रयोग के बाद से ही त्वचा पर थकान, सिरदर्द और जलती हुई उत्तेजना शुरू हो सकती है। यूके के राष्ट्रीय रेडियोलॉजिकल प्रोटेक्शन बोर्ड के अनुसार, मोबाइल फोन उपयोगकर्ता माइक्रोवेव ऊर्जा की एक महत्त्वपूर्ण दर को अवशोषित करते हैं जिससे उनकी आँखों, मस्तिष्क, नाक, जीभ और आस-पास की मांसपेशियों को हानि पहुँचने की सम्भावना बढ़ जाती है।


◆ मूत्र पथ में गड़बड़ी, अधिक मूत्र, पसीना आदि विद्युत चुम्बकीय विकिरण की संवेदनशीलता का परिणाम हो सकती है।



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◆ विद्युत चुम्बकीय संवेदनशीलता हमारे खाने की पसन्द में बदलाव, भूख में बदलाव आदि का कारण बन सकती है। कुछ खाद्य पदार्थ जो पहले स्वादिष्ट लगते थे सेल फोन रेडिएशन के कारण अब पेट को परेशान कर सकते हैं या एलर्जी प्रतिक्रियाओं का कारण हो सकते हैं। सेल फोन के उपयोग से पेट फूलना और मोटापे की बीमारी भी होने की सम्भावनाएँ हैं।


◆ कैंसर पर किये गए एक शोध के अनुसार, मोबाइल विकिरण से ‘सम्भावित कार्सीनोजेनिक विकिरण’ अर्थात कैंसर के जोखिम की सम्भावना है। मोबाइल फोन के उपयोग से सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिये इण्डियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और काउन्सिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च द्वारा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में चूहों पर परीक्षण किया गया। इसमें पाया गया कि लम्बे समय तक रेडियोफ्रिक्वेन्सी रेडिएशन के प्रभाव में रहने के कारण द्विगुणित डीएनए स्पर्श कोशिकाओं में टूट जाते हैं, जिससे व्यक्ति की वीर्य गुणवत्ता और प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। माइक्रोवेव रेडिएशन के कारण मानव कोशिकाओं के एंटीऑक्सीडेंट डिफेंस मैकेनिज्म क्षमता पर असर देखा गया है। कोशिकाओं की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण शरीर में हृदय रोग, कैंसर, आर्थराइटिस व अल्जाइमर जैसे रोगों के पनपने की सम्भावना रहती है।


◆ प्रायः लोग रात को मोबाइल फोन को तकिये के नीचे वाइब्रेशन मोड पर रखकर सो जाते हैं परन्तु यह हमारे स्वास्थ्य के लिये एक बड़ा खतरा हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एक शोध के अनुसार, चूँकि मस्तिष्क के भीतर भी सूचनाओं का आदान-प्रदान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के माध्यम से होता है, अतः मोबाइल को तकिए के पास रखने से मोबाइल के सिग्नल के लिये आती इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगे दिमाग की कोशिकाओं की वृद्धि को प्रभावित करती हैं। मस्तिष्क की प्राकृतिक तरंगों में बाधा के कारण इनका स्वाभाविक विकास बाधित होता है जिससे ट्यूमर विकसित होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है।


◆ मोबाइल फोन जहाँ हमें अपनों के सम्पर्क में लाते हैं, वहीं साथ लाते हैं संक्रामक रोग। सर्वेक्षण अध्ययन बताते हैं कि आम बीमारियों जैसे- सर्दी, जुकाम, खाँसी आदि के रोगाणु काफी अधिक संख्या में सेलफोन पर मौजूद रहते हैं और ये संक्रामक रोग सम्पर्क में आने पर आसानी से फैलते हैं। इसका सबसे अधिक असर डॉक्टरों द्वारा उपयुक्त मोबाइल में देखा जाता है। यदि डॉक्टर्स अपना फोन चिकित्सा केन्द्र में लेकर जाते हैं तो यह मोबाइल वहाँ उत्पन्न बीमारियों के विषाणु को एक संक्रामक जरिया प्रदान करते हैं। इसलिये अधिकांश चिकित्सालयों में मोबाइल फोन का उपयोग निषेध होता है।


◆ मोबाइल फोन और सोशल मीडिया ने हमारी गोपनीयता पर भी भारी प्रहार किया है। आज किसी के बारे में भी निजी से निजी बात जानना इतना कठिन नहीं रहा है। लोग सोशल मीडिया अकाउंट में बहुत से नियम लगाते हैं, फिर भी कई बार उनके निजी जीवन की बातें अनजान लोगों तक पहुँच जाती हैं। कई लोग इसका लाभ उठाकर दूसरों की गोपनीय बातों का अनैतिक ढंग से प्रयोग करते हैं। इस स्थिति ने भी एक डर और तनाव का माहौल उत्पन्न कर दिया है। लोग हमेशा तनाव में रहते हैं कि उनकी गतिविधियों पर किसी की नजर है। इससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।


◆ कई लोग यात्रा करते हुए या रास्ते में चलते हुए भी फोन पर बात करते रहते हैं। कई लोग तो वहाँ चलते हुए मैसेज और सोशल मीडिया भी चलाते हैं। इससे ध्यान मुख्य कार्य अर्थात ड्राइविंग से विचलित होता रहता है। ध्यान केन्द्रित न होने के कारण अक्सर दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार, सड़क दुर्घटना के 10 में से 6 का कारण मोबाइल फोन है।


◆ प्रतिदिन नए-नए मोबाइल खेल का विकास हो रहा है। यह खेल इतने रोचक और मंत्रमुग्ध करने वाले होते हैं कि बच्चों को इनकी लत लग जाती है। वे सोते-जागते यही खेल खेलते रहते हैं। इससे उनकी दिनचर्या भी बिगड़ जाती है जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक सिद्ध होती है। इतना ही नहीं कई खेल जैसे- पोकेमॉन गो, ब्लू व्हेल आदि के कारण बच्चे और बड़े, सड़क दुर्घटना और आत्महत्या आदि का शिकार हो रहे हैं।


◆ मोबाइल फोन की लत की यह बीमारी इतनी आम और इतनी सहज हो गई है कि हमें यह ज्ञात भी नहीं होता कि हम इससे ग्रसित हैं। इस बीमारी के लक्षण इतने सामान्य हैं कि इनका पता चलना मुश्किल है


कई लोग मानसिक रोग या डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं। इस कारण उन्हें असल दुनिया से अधिक आराम मोबाइल की दुनिया में मिलता है। चिकित्सक से इस विषय में विस्तृत बातकर इस लत के पीछे छिपे मूल कारण को ढूँढा जा सकता है।


◆ हालांकि स्मार्टफोन की लत का इलाज करने के लिये कोई भी वर्तमान अनुमोदित दवाएँ नहीं हैं, परन्तु जब मनोचिकित्सा के साथ जोड़ा जाता है तो एंटीडिप्रेशन जैसी दवाएँ, इस लत का इलाज करने में मदद कर सकती हैं। परन्तु इसके लिये विशेषज्ञों की सलाह और अनुमति की आवश्यकता अनिवार्य है।


   
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